• ट्रंप के विदेशी कारों पर 25 फीसदी शुल्क लगाने से मची खलबली

    अमेरिकी राष्ट्रपति ने विदेशी कारों और उनके कलपुर्जों के आयात पर 25 फीसदी शुल्क लगाने का एलान किया है. इस एलान से एक ओर तो कार कंपनियों के शेयर नीचे गिर गए हैं वहीं सहयोगी देशों ने जवाबी कार्रवाई की खोज शुरू कर दी है

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    अमेरिकी राष्ट्रपति ने विदेशी कारों और उनके कलपुर्जों के आयात पर 25 फीसदी शुल्क लगाने का एलान किया है. इस एलान से एक ओर तो कार कंपनियों के शेयर नीचे गिर गए हैं वहीं सहयोगी देशों ने जवाबी कार्रवाई की खोज शुरू कर दी है.

    बुधवार दोपहर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने नया शुल्क लगाने का एलान किया इसके बाद शेयर बाजारों में खलबली मच गई. दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में शामिल टोयोटा के शेयरों की कीमत 3 फीसदी से ज्यादा नीचे गिर गई.

    जापान की सरकार ने इस फैसले को "बेहद अफसोसनाक" बताया है जबकि प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कहा है कि उनका देश, "हर तरह की जवाबी कार्रवाई पर विचार कर रहा है."

    बुधवार को ओवल ऑफिस में कार्यकारी आदेश पर दस्तखत करते हुए ट्रंप ने कहा, "हम जो करने जा रहे हैं, वो यह है कि उन सभी कारों पर 25 फीसदी का शुल्क लगेगा जो अमेरिका में नहीं बनी हैं." यह शुल्क 3 अप्रैल को अमेरिकी समय के हिसाब से मध्यरात्रि 12:01 बजे लागू हो जाएगा. इसका असर अमेरिका में आयात की जाने वाली कारों और हल्के ट्रकों पर होगा. ऑटोमोबाइल के प्रमुख पुर्जों पर भी इसी महीने शुल्कों की मार पड़ेगी. यह नया शुल्क पहले से घोषित शुल्कों के अतिरिक्त होगा.

    ट्रंप के शुल्कों से बचने की कोशिश में यूरोपीय संघ और भारत

    सहयोगी देशों की प्रतिक्रिया

    कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रंप के शुल्कों को उनके देश के कामगारों पर "सीधा हमला" करार दिया है और कहा है कि कैबिनेट गुरुवार को मिल कर जवाबी कार्रवाई पर चर्चा करेगी. कनाडा के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा का कहना है कि उनका देश इन शुल्कों के जवाब में "बिना हरकत किए खड़ा नहीं" रह सकता.

    जर्मनी के आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने गुरुवार को कहा कि आयातित कारों पर अमेरिकी शुल्क पर यूरोपीय संघ की तरफ से जवाब दिया जाना चाहिए. उन्होंने बयान जारी कर कहा है, "अब यह जरूरी है कि इन शुल्कों पर यूरोपीय संघ की तरफ से दृढ़ जवाब दिया जाए. यह स्पष्ट कर देना जरूरी है कि हम इसे यूं ही स्वीकार नहीं करेंगे."

    इस कदम ने ट्रंप के प्रमुख सहयोगी और टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क को भी हैरान किया है. उनका कहना है कि शुल्कों का उनकी फर्म की कारों पर जो असर होगा वह "मामूली नहीं" है. मस्क ने एक्स पर लिखा है, "साफ तौर पर यह टेस्ला की कारों के पार्ट्स की कीमत पर असर डालेगा जो दूसरे देशों से आते हैं. कीमतों पर असर मामूली नहीं है."

    ईयू ने लगाया अमेरिका पर जवाबी शुल्क

    "विदेशी कारोबारी धोखेबाज"

    कारोबार और उत्पादन के मामले में ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नावारो ने ट्रंप की घोषणा के बाद मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि "विदेशी कारोबारी धोखेबाजों" ने अमेरिका के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को विदेशी पार्टों की सस्ती मजदूरी वाली एसेंबली की जगह में बदल दिया है. उन्होंने उच्च कीमत वाले कार के हिस्सों का निर्माण अपने देश में करने की जापान और जर्मनी की नीतियों को निशाने पर लिया.

    जनवरी में दूसरी बार व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद से ट्रंप ने अमेरिका के प्रमुख कारोबारी सहयोगियों से होने वाले आयात पर शुल्कों की बौछार कर दी है. कनाडा, मेक्सिको और चीन के साथ ही यूरोपीय देशों और भारत का नाम भी इसमें शामिल है. उन्होंने स्टील और एलुमिनियम के आयात पर भी 25 फीसदी का शुल्क लगाने की घोषणा की है.

    व्हाइट हाउस ने इसके साथ ही जानकारी दी है कि अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट के तहत अमेरिका आने वाली कारों पर शुल्कों की दर कम होगी. इसी तरह से इस करार के अंदर आने वाले कारों के कलपुर्जे भी शुल्क से मुक्त होंगे.

    ट्रंप की कारोबारी योजनाओं को लेकर अनिश्चितता और चिंताओं के कारण वित्तीय बाजार हिल गए हैं और हाल के महीनों में ग्राहकों का विश्वास भी डगमगाया हुआ है.

    एशियाई कार कंपनियों के शेयर नीचे गिरे

    ट्रंप की घोषणा के बाद एक तरफ जहां वाल स्ट्रीट ने गोता लगाया वहीं जनरल मोटर्स और स्टेलांटिस के शेयर तीन फीसदी से ज्यादा नीचे गिर गए. गुरुवार को दुनिया की शीर्ष कार कंपनी टोयोटा के शेयरों ने भी तीन फीसदी से ज्यादा कीमत गंवा दी. दूसरी कार कंपनियों में निशान ने 2.5 फीसदी, होंडा ने 3.1 फीसदी और मित्सुबिशी मोटर्स के शेयरों की कीमत 4.5 फीसदी नीचे गई. माजदा और सुबारु के शेयर तो छह फीसदी तक नीचे गए. दक्षिण कोरिया की ह्युंडई ने के शेयरों की कीमत भी 2.7 फीसदी नीचे गई.

    जर्मन कार कंपनियों ने गुरुवार को चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार और कलपुर्जों पर भारी शुल्क लगाने का फैसला "मुक्त व्यापार के लिए नुकसानदेह संकेत" होगा. जर्मन ऑटोमेकर फेडरेशन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विदेशी कारों पर 25 फीसदी का शुल्क ऑटो उद्योग में "कारोबार और ग्लोबल सप्लाई चेन पर भारी बोझ डालेगा" जिसका "खासतौर से ग्राहकों पर नकारात्मक असर होगा, उत्तरी अमेरिका में भी."

    शुल्क क्यों बढ़ाना चाहते हैं ट्रंप

    ट्रंप ने इन शुल्कों को को सरकार का राजस्व बढ़ाने और अमेरिकी उद्योगों में दोबारा जान फूंकने का तरीका बताया है. हालांकि आयातित कारों को निशाना बनाने का असर अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगी देशों के साथ रिश्तों में तनाव भर सकता है जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा, मेक्सिको और जर्मनी शामिल हैं.

    अमेरिका में बिकने वाली 50 फीसदी कारें देश के भीतर ही बनाई जाती हैं. आयात की जाने वाली कारों में भी आधी मेक्सिको और कनाडा से आती हैं जबकि जापान, दक्षिण कोरिया और जर्मनी सबसे बड़े सप्लायर हैं. अमेरिका में बनने वाली कारों में आधी से ज्यादा विदेशी कलपुर्जे जोड़ कर बनाई जाती हैं.

    ट्रंप ने हाल के दिनों में लगाए कुछ शुल्कों के लिए आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का इस्तेमाल किया है लेकिन कारों पर लगा शुल्क सरकार की एक जांच पर आधारित है जो 2019 में पूरी हुई थी. इस जांच के नतीजे में बताया गया था कि अत्यधिक आयात की वजह से अंदरूनी अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती है.

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